कठ्ठीवाडा शिक्षा विभाग के घोटाले पर चुप क्यों है आदिवासी संगठन
आदिवासियो की हक की आवाज उठाने वाले , विधानसभा चुनाव में राजनेताओं की गुलामी करने के कारण अपनी असली पहचान खो चुके है क्या।
कठ्ठीवाडा कांड में किसी भी आरोपी को सजा मिलेगी क्या
जिले में हो चुके शिक्षा विभाग के कठ्ठिवाड़ा ब्लॉक के 20.47 लाख रुपए के घोटाले में आज तक जिले के आदिवासी संगठन और उनके नेताओ की आवाज की गायब है जरा जरा सी बात पर रेलियां आंदोलन और मध्यप्रदेश में आग लगाने की बात करने वाले आदिवासी संगठनों की जिले के शिक्षा विभाग के घोटाले में कोई भी इंट्री नही कही ऐसा तो नहीं की दोनो ही संगठन के लोगो और उनके पधाधिकारी और कार्यक्रताओं को अभी हाल में हुवे चुनाव में सामाजिक संगठन से हटकर अपनी छबि अनुसार सामाजिक कार्य करने के कारण नेताओ की गुलामी करने का मन बना लिया हो जिले के सोना चोरी कांड और कैलाश भील की हत्या कांड के बाद जमीन अधिग्रहण मामले में दिखाई देने वाले आदिवासी संगठन के लोग चुनाव में चुनावी मैदान में हर एक राजनेतिक और राजनेताओं का समर्थन कर राजनेतिक पार्टियों की आंधी और तूफान में कही अपनी सामाजिक छबि तो बदल नही की क्योंकि शिक्षा विभाग कठ्ठीवाडा कांड इतना बड़ा है जिससे बाद तो हर किसी आदिवासी संगठन को एकता के साथ इस मुद्दे को उठाया जाना था परंतु आज तक कोई भी आगे नहीं आया तो क्या समझे बाहर के शेर अपने ही जिले और गृह में ढेर है । क्योंकि एक भी आदिवासी संगठन के नेता या पधाधिकारी और कार्यक्रताओं ने आवाज नही उठाई और ना ही आंदोलन और आरोपियों को उचित सजा मिले और निष्पक्ष जांच हो जेसे मांगे आज तक नही उठी जिससे ऐसा प्रतीत होता है की आदिवासी संगठन क्या राजनेताओं के समर्पक में आकर खुद को सामाजिक संगठन के जवाबदार लोगो से नेताओ की गुलामी में जाने का निर्णय अंदर ही अंदर तो नही ले लिया ।आज तक जिले और जिले के बाहर जो भी घटनाएं हुई उसमे हमारे जिले के युवा सबसे अग्रणी रहते थे ।लेकिन कठ्ठीवाडा शिक्षा घोटाले में सभी आदिवासी संगठनों ने मौन क्यों धारण क्यों किए हुवे है आम जनता में सवाल उठ रहा है की आदिवासी संगठन अभी तक चुप क्यों है ।