भाजपा कांग्रेस के नेता चुनाव आते ही एक दूसरे की बुराई कर लोगो से वोट मांगने निकल जाते है । दिलीप सिंह भूरिया आप नेता अलीराजपुर
आम आदमी पार्टी की सरकार आई तो जनता की वो हर मांग पूरी करेंगे जो जनता चाहती है । सुनील तोमर सोशल मीडिया प्रभारी आप जिला अलीराजपुर
अलीराजपुर
बीते कई वर्षो से अलीराजपुर जिले की जनता की मुख्य मांग पानी बिजली सड़क स्वास्थ्य और रोजगार है लेकिन आजादी से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों ने मध्यप्रदेश और देश के बारी बारी कई वर्षो तक राज किया लेकिन अलीराजपुर जिला आज भी फिसड्डी जिले के रूप में पूरे देश में और प्रदेश में विख्यात है क्योंकि यहां जितनी भी राजनेतिक पार्टी और उनके राजनेताओं ने आज तक अंतिम पंक्ति तक के व्यक्ति की सुध नहीं ली जिससे आम नागरिक आज भी पानी बिजली सड़क स्वास्थ्य और रोजगार जेसी मूलभूत सुविधाएं प्राप्त करने के लिए आज भी राजनेतिक पार्टियों और राजनेताओं की ओर देखता है और सो जाता है बीते दिनों जब बारिश रुक गई और पानी नहीं आया जिसके कारण अलीराजपुर जिले के चारो ओर पानी की किल्लत दिखाई दी और भाजपा कांग्रेस के जो भी विधायक सांसद और राजनेता सरकार से पानी देने की रोड पर आकर मांग करने लगे थे उससे ही यह साबित हो गया की भाजपा कांग्रेस ने अलीराजपुर जिले में क्या विकाश किया है ।सिर्फ और सिर्फ नफरत की राजनीति और भेदभाव की राजनीति हुई है भाजपा जहा अपने वोटरो को ही या अपने सहयोगियों को काम देती है वही कांग्रेस भी अपने नेताओ और अपने सहयोगी वोटरों को काम देती है लेकिन आज कल हर उस आदमी को काम की जरूरत है जो जिले में निवास करता है ।जिनको शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार पानी और सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाएं बिना भेदभाव के नेताओ और रानेतिक पार्टियों को देना चाहिए परंतु नही ऐसा विशाल हृदय किसी भी राजनेतिक पार्टी और राजनेताओं का आज तक देखने को नहीं मिला मिला भी तो स्वार्थी अपने कुनबे के विकाश और अपने विकाश की बात करने वाले नेताओ का मिला।अलीराजपुर जिले की दुर्दशा जितनी हुई और आगे भी हो सकती है जनता को अब तीसरे विकल्प की ओर जाना चाहिए क्योंकि आजादी के 76 सालो बाद भी जिला जस का टस आज भी आदिवासी समाज रोजगार के लिए अन्य राज्यो जैसे गुजरात महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में मजदूरी कर अपना जीवन यापन करने को मजबूर है वही घर पर बूढ़े मां और बाप पेंशन के 600 रूपयो के सहारे और राशन के सहारे जीवन गुजारने को मजबूर है और आदिवासी समाज के कई बच्चे आज भी शिक्षा से वंचित है और जिस उम्र में उनको स्कूल में होना चाहिए और जिनके हाथों में किताबे और कलम होनी चाहिए वो खेतो में घास निंदते और कपास बिनते और ईट भट्ठों में और फैक्ट्रियों में बोझा उठाकर अपना पेट पालते नजर आते है ।और राजनेतिक पार्टियां अपने अपने भाषण ने उन लोगो को तो शोक है मजदूरी करने का बोल कर उनका अपमान कर जाते है ।लेकिन कोई उनका दर्द आज तक समझ नही पाया ।कोन चाहता अपना परिवार छोड़ कर गुजरात जाना जब गुजरात से अच्छी जमीन और काफी मात्रा में आदिवासी समाज के पास है ।लेकिन पानी की सुविधाए नही होने से खेती केसे करे करे तो उसको केसे सींचे यही सोचकर अपने दिल पर पत्थर और घरों के दरवाजों पर बौर के पेड़ के काटे बांधकर खुल्ले आसमान के साए में दो जून की रोटी को अपने पूरे परिवार के साथ निकल जाते है अपना जीवन जीने और दो रुपए की रोजी रोटी कमाने लेकिन आज भी सरकार इनकी दुर्दशा का मजाक उड़ा कर वोट तो ले जाती है सरकार आती है और जाती है लेकिन इनकी दशा आज भी पूरे देश और राज्य पर एक कलंक है क्या यह कलंक कभी मिट पाएगा।