आलीराजपुर की जाम वाली कहानी
आलीराजपुर, मध्यप्रदेश का एक छोटा-सा लेकिन बढ़ती रफ्तार वाला शहर था। खंडवा-बड़ौदा मार्ग इस शहर की जान था। लेकिन यहां की एक आदत शहर के विकास में रोज़ बाधा बन रही थी — दुकानों के सामने बाइक खड़ी करना।
दाहोद नाका से लेकर टॉकीज चौराहा तक सड़क के दोनों किनारे दुकानों के सामने बाइकें कतार में खड़ी रहतीं। दुकानदार भी कुछ नहीं बोलते — मानो ये तो रोज़मर्रा की बात हो। धीरे-धीरे हालत ऐसी हो गई कि सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल होने लगा।
एक दिन सुनील नाम का एक युवा, जो सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय था, बाजार आया। उसे जाम में फंसने पर काफी गुस्सा आया। उसी शाम उसने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी —
आलीराजपुर में सड़कें दुकानों के बाहर की पार्किंग बन गई हैं, क्या कोई समाधान निकलेगा?
पोस्ट वायरल हो गई। अगले ही दिन कुछ युवाओं ने मिलकर ‘सड़क बचाओ अभियान’ शुरू कर दिया। वे दुकानदारों से विनती करने लगे कि “कृपया अपने सामने बाइक न पार्क करवाएं।
कुछ दुकानदारों ने विरोध किया, लेकिन अधिकतर समझ गए कि यदि रास्ता साफ रहेगा तो ग्राहक भी ज्यादा आएंगे।
जैसे-जैसे जन-जागरूकता बढ़ी, नगर पालिका परिषद ने भी ‘नो पार्किंग’ के बोर्ड लगवा दिए। धीरे-धीरे, दाहोद नाके से टॉकीज चौराहा तक जाम कम होने लगा।
शहर ने राहत की सांस ली — और सुनील व उसके साथियों की छोटी-सी पहल से आलीराजपुर में एक बड़ी समस्या सुलझ गई।